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प्रेममें धोका

 

ऐसा प्रेम वास्तवमें प्रेम नही,जो उम्मीदसे किया हो।हमारे आसपास बहुत सारे उदाहरण मिलते है,,जिसमें सच्चा प्रेम नही होता।शुरुशुरुमें ऐसा लगता है कि अपना प्रेम सच्चा प्रेम है,किंतु वह एक सिर्फ आकर्षकण हो सकता है।इसलिए प्यार करनेवालेको सभी बातोंपर ध्यान देना आवश्यक है।

   प्रेम तो वह भाव है,जो हृदयसे उत्पन्न होता है और मृत्यु के दरवाजेपर समाप्त होता है।

     प्यार सभी करते है।कोई ईजहार कर पाता है और किसीके नसीबमें ईजहार करना नही होता। दुसरोंका या अपनोका प्रेम समझ पाना हर किसीके बसकी बात नही। उसकेलिए अपना स्वभाव का विशाल होना आवश्यक है।यह अपने मनव्यर्सभावपर निर्भर है। क्या आप गरम मिजाज़ हो? क्या आप क्षमाशिल हो ?क्या आप शांत भावके हो? क्या आप दुसरोंके प्रति संवेदनशील हो? क्या आप औरोंको किस तरहसे कैसे कितना तोलते हो।क्या आप अन्योंका मन समझनेकी ईच्छा रखते हो? यह बातें बहुतही महत्त्वपूर्ण है।तभीतो प्रेम करनेवाला प्रेमको समझेगा।मैं  आज एक उदाहरण अवश्य देना चाहूंगा, जिससे यह साबीत होगा कि उनका प्रेम वास्तवमें प्रेम नही था।आप जोभी इस बातको पढेगा,शायद एक सबक मिल जाए ।

    एक बहुतही सुंदर लडकी थी। उसने नर्सिंग का कोर्स किया हुवा था।उसे अपने हमउम्र लडकेसे दोस्ती हो गई।दोस्ती कब प्यारमें परिवर्तीत हो गयी पताही नही चला।फिर क्या?दोनो हवामें उडने लगे।प्रेममें इन्सान पागल हो जाता है, उसका दिमाग अच्छा-बुरा कम समझ पाता है।यहाँ भी वैसाही हुवा।

    दोनोने वादे-कस्मे खायी।जब दिन होता तो दोनो मौका मिलतेही एक दुसरेको मिलते।जी भरके अपनी प्यारकी बातें करते और रात होती तो रातके अंधेरेमें सोये-सोये सपनोंकी सैरमें खो जाते। ऐसा कुछ दिन चलता रहा,चलता रहा। इक दिन वही बात हो गयी जो अक्सर होती है, उनके प्यारकी भनक उनके घरवालोको लगी।पहले पहले तो कुछ हंगामा हुवा; पर दोनो साधारण घरके थे,अलबत्ता दोनोकी घरविलोंने उनकी शादीका फैसला किया।

    लडकीके जीद के आगे भाई मजबूर था।माँ- बाप को भी लगा की शादीतो करनीही है, हो जाने दो लडकीके मन जैसा।अपनी लाडलीसे वह बेपनाह प्रेम जो करते थे।दोनोकी शादी कर दी गयी।

      दोनो हसी खुशी रहने लगे पर घर छोटासा होनेके कारण दोनोने किरायेके मकानमें रहनेका फैसला किया और उसी इलाकेमें किरायेकी एक रुम ली। मौज-मजेमें दिन बितते गये।लडकीको जॉबभी लग गयी ।इस बीच घरमे एक नन्हासा मेहमान भी आ गया।दोनोके खुशीका ठिकाना न रहा।सबकुछ मस्त चल रहा था।इस बीच लडकीको एक अस्पताल में जॉबभी मिली।सब ऑलवेल था।हशी खुशी जिंदगी चल रही थी।

         लडकी अस्पतालमें नर्सका काम करती थी इसलिए उसे नाईट ड्यटीपेभी जाना पडता था।घरका कामभी संभालना पडता था।स्वभाव जादा टेशनकी वजहसे चिडचिडा बन रहा था।इसी बीच घरमें दुसरी नन्ही परीभी आ गयी। खुशीका माहोल घरमें वापस आया। कुछ दिन बाद लडकीने वापस ड्यूटी जॉईन की।काफी कुछ समय निकल गया।

       नर्सकी ड्यूटी होनेकी वजहसे काफी देर रात होने तक लडकी घर नही आ सकती थी।यही एक कारन परेशानीका सबब बन गयी।उसके पतीके स्वभावमें अचानक परिवर्तन हो गया । वह जराजरासी बातपर  उसे तंग करने लगा। दोनोमें नोक झोक होने लगी ।काफी कुछ बाते बिगडने लगी और अचानक एक दिन उसका पती    उसे छोडकर अपने मातापिताके घर चला गया। लडकीको काफी कुछ झेलना पडा।लडकी अकेली दोनो बच्चेको संभालने लगी ।उसकी जिंदगी अस्पतालकी ड्यूटी और अपने बच्चे इन दोनोमें सिमट गयी।

      कुछ दिनोके बाद लडकीको यह पता चला कि उसका पती एक औरतके साथ किराये एक मकानमें रहता है वह झल्ला उठी और दुसरेही दिन वह शामको उसके यहॉ जा पहुची।उसे काफी कुछ भलाबुरा कहने लगी।दोनोमें झगडा होने लगा।झगडा क्या अब तो मारपीट होने लगी।लडकेका भाई पासही रहता था ।वहभी अपने भाईका साथ देने लगा और दोनोंने मिलके लडकीको मारा। लडकी खूप  रोने लगी।रोते रोते पुलीसमें जानेकी धमकी देने लगी।

  एक हसता खेलता परिवार अपने शक और नासमझीकी वजहसे बिखर गया  


यहाँ पर यह कहानी खत्म  नही हुई,बल्कि शुरु हुई। अतः हम यह डिसाईड करे कि हम कहाँ पर है? यद आप ईस कहानीसे कोई बोध लेते है तो वह क्या?  मैं समझता हूँ कि आप किसीसे व्यर्थ उम्मीद न रखे।प्यार करनाही है तो गरज या अपेक्षाको लेकर नही।दिल खोलके करो ;वर्ना उस रास्तेपर मत जावो।


Y kable  चमडी चोर

कोई चमडी चोर होता है ,कोई दमडी चोर होता है।कोई दिल चुरा लेता है ,कोई चिजे चुराता है। इतनाही नही यहाँ   दुसरों की रचना तक चुरा लेते है लोग। यू तो सारा जग चोर है पर अच्छे लोग भी है बहुत। आज मैं आपसे एक पक्के चमड़ी चोर की कहानी बताता हू।  इतना याद रखिये कि इस कहानीसे आपको कुछ सीख लेनी है।

‌🐺        नाम वाय काबले।    उम्र  48 साल। काम मजदूरी, मीलमें मजदूर।

तुकाराम को लगा था, कि उसका बेटा बडा नाम करेगा। पढ लिखकर अच्छी नौकरी करेगा। उसके छोटे गाव की तरहही थी उसकी छोटीसी  आशा। अपने बेटे यश  से उसने बडी उम्मीदे लगा रखी थी। यश बोलने में बडा चतुर था। उसकी जुबान में शक्कर थी। ऐसी मिठी-मिठी बाते करता था, कि सुननेवाला पिघलाही समझो। चिकनी चुपड़ी बाते करके वह अपना काम किसी से भी मनवा लेता। खास करके उसकी नजर अपने आसपास की लडकियोपर रहती थी। बाते बनाने में माहिर होनेका उसने बहुत लोगों से लाभ उठाया था। तुकाराम भी अपनी खेती बडी मेहनतसे करता था। वह अपने बेटे की उपरी वर्तनसे बहुत खुश था। उसे क्या पता कि उसका बेटा उपरसे कुछ और भितरसे कुछ और है।   

जब यशकी पढाई खत्म हो गयी और कालेज छुट गया तब तुकाराम ने उसे खेती में मदद करने के लिए कहा। यश को अपनी मजबुरी का पूर्ण ज्ञान था। अत: उसने खेत में जाना शुरू कर दिया। लेकिन कभी कबाड नही बल्कि जादा तरह वह आनाकानी करता था। उसे अपने टपोरी दोस्तों में और पार्टियों में जादा इंट्रेस्ट रहता था और उस समय का वह लाभ भी उठाता था। अपने मिठी बातों से उसने कही सारी लडकियों से निकटता बनाई थी। दोस्तों में और कुछ लडकियों मे वह पापुलर हो गया था। समिता नाम की लडकी उसके जालमें फस गयी। उन दोनों के बिच बहुत गहरी दोस्ती हो गयी।दोस्तीने कुछ सिमा न रखी किंतु ऐसा बहुत कुछ हो गया जो शब्दों में बताना संभव नही और न मुनासिब है।

पापी कितनाभी पाप कर ले, एक दिन उसके पाप का घड़ा भर ही जाता है। यश के इस बिगडे और अनैतिक वर्तनकी भनक एक दिन तुकाराम को लग गयी।  और तुकारामने उसपर उसकी शादी के लिए तैयार होने के लिए कहा। बार बार दबाव बनाये रखा। अब उसे लगा कि शादी को टाला नही जा सकता तो उसने हा भरी।

यश ने मन में ठान लिया था कि वह कभी समिता से शादी नही करेगा, उसका दिल जो भर गया था। अडचन यह थी कि समिताभी कभी नही जान पायी कि यश क्या है। क्योकि वह दुसरे गाव में रहती थी। यश ने उसे बहाना बनाया और चुपके से उसने तुकाराम के कहने पर शादी की।तुकाराम को  क्या पता कि यश ने और कही गूल खिलाया।

     शादीके बाद यश और उसकी पत्नी उसके गाव से बारा किलोमीटर दूर एक बडे गाव में जाकर रहने लगे। उसकी पत्नी आरोग्य सेविका का काम करने लगी। वह गिरणी में काम करने लगा। लेकिन उसके शादी के बाद भी उसमें कोई परिवर्तन नही आया। ईस बिच वह समितासेभी मिलता रहा। हर बार उसने समिता से बडे चालाकीसे अपना भेद छिपाये रखा। उसके दो बच्चे हुए पर भेद ,भेद ही रहा। समिताभी बडी गहरी नींद में सोनेवाली लडकी निकली। उसेभी यह जानना जरुरी नही समझा कि असल में पर्देके पिछे क्या है? और जब समिताको पता चला राज तो तबतक बहुत देर हो चुकी थी।   तबतक यश दो बच्चो का बाप बन चुका था। समिता सुनकर झल्ला उठी। आग बबुला हो गयी। उसने यशको खरी खोटी सुनायी और कोर्ट में जानेकी धमकी दी। यशको लगा की ऐसा कुछ होगा नही। वह समिता को मनाता रहा। माफी मांगता रह; पर समिता नही मानी। उसने  कुछ तय किया  और  यश को कुछ न कुछ सजा देने की ठान ली। इक दिन उसने भर रस्ते में यशको पकड़ा और कई लोगों के बिच उसकी इज्जत उतार दी। खूब कपड़े पकड़कर खिचने लगी। अब यश जान चुका था, की समिता माननेवाली नही है, तब उसने समझौते का उपाय खोज निकाला। लेकिन समझौता कैसे करे, समिता से वह कैसे छुटकारा पाये इसका उपाय वह तलाश ने लगा। उसके मधूर वचनसे उसने काफ़ी लोगोंसे मैत्री बना रखी थी, वह काम आयी। उसने अपनी यह अड़चन अपने एक गहरे मित्र से बतायी। उसका वह मित्र उसके मुहल्लेमेंही रहता था। नाम था सेवानंद। सेवानंद बड़ा ही होशियार था। बोलनेमें बहुत ही चतूर था। कहते है वह ले-आउटकाभी बिजनेस करता था। उसकी एक वकील से काफ़ी अच्छी मैत्री थी। उसे वह अपना भाई ही मानता था। उसने यश को एक वकील से सलाह- मशविरेकी  सलाह दी। यश तैयार हो गया और एक दिन दोनो जाकर उस वकील से मिले। सेवानंद ने यश का परिचय वकील से करवाया और अपने अफेयर की बात उस वकील को बतायी। वकील को कुछ लेनदेन पर इस समस्याका समाधान निकालने के लिए सेवानंद ने कहा।   पुरी कहानी सुनने के बाद वकील ने समिता से सुलह करने के लिए कहा। बात का बढ़ना ठीक नही होगा इसलिए यशको किसीभी तरह समिता को कुछ पैसे देकर मामला रफ़ादफ़ा किया जा सकता है, ऐसी सलाह उस वकील ने दी। अब अड़चन यह थी की समिता कैसे और किसको भेजनेपर मानेगी। सेवानंद ने यशको समिता के मित्र ,परिवार और निकट संबंधीयोंके बारेमें मालुमात करने के लिए कहा। यश इस कला में माहिर था ; इसलिए उसने आसानी से यह पता लगाया। उसको यह पता चला की, समिताका एक मुहबोला भाई  सेवानंद का ही रिश्तेदार है। वह बहुत खूश हुवा। उसे लगा, अब वह आसानी से समिता से छुटकारा पा सकता है। उसने यह सब बात सेवानंद को बतायी और दोनो  उस रिश्तेदार से मिले। उस रिश्तेदार ने पुरी कहानी सुनी और  समिता से समझौता करने के लिए जानेको तैयार हो गया।  हालांकि कुछ बाते यश और सेवानंद ने उस रिश्तेदार से छिपायी। लेकिन जब वह रिश्तेदार समिता से मिला तो समिताने सबकुछ उसको बताया, की उसने कैसे उसको फसाया। उस रिश्तेदार ने समिता को समझाया, की बदनामी से अच्छा है, की कुछ कमपलसेशन लेकर  यह टंटा समाप्त किया जाए। वैसेही इस झगड़ेमें तूम दोनो का नुकसान है। समिता ने खूब विचार किया और कहा, "भैया, आप कहते है तो मै आपकी बात मानती हूँ। मै समझौता करने के लिए तैयार हू। " एक मोटी रकम लेकर इस तरह यश के उस अनैतिक समस्या का निपटारा किया गया। यश मनहीमन बहुत खुश हुवा। उसे इस अपने अनैतिक व्यवहार से कुछ सबक लेना था पर वह यह भूल गया। भैस को अगर गंदे पानी में नहाने की आदत है, तो वह कैसे छोडेगी गंदे पानी में नहाना?

दिन गुजरते गए। यश के बच्चे  काफी बड़े हुए। कॉलेज जाने लगे, फिर कॉलेज के बाद एक ने इंजिनियरिंगमें अडमिशन लिया। इस बिच न जाने यश ने कितनों से लाभ उठाया और कहा कहाँ उसने मुह काला नही किया, कुछ कह सकते नही। वह हर साल खेतीबाड़ी के लिए लोगोंसे उधार ब्याज से पैसे लेता था। इस साल भी उसने बहुत सारे लोगोंसे ब्याज पर पैसे लिए। पैसे लेने के लिए उसने बहुत सारे लोगोंसे झूठ बोला, परिचय के लोगोंको मध्यस्थ बनाकर उसने कर्जा निकाला। और जब वापसी करने की बारी आयी तो टालाटाल करने लगा। कई लोगोंने धमकियाँ देकर अपने पैसे ब्याज सहित निकलवाए। पर कुछ लोगोंको उसने पुरा चुना लगाया। जिन लोगों के पैसे उसने वापसी नही किये वह लोग उसे तंग करने लगे। उन लोगों को देखकर वह आजभी बहाने बना रहा है। और देखकर छुपता है। उसने इतना सारा कर्जा निकाला था तो किसके लिए निकाला?   तो पता चला कि उसने दुसरी औरत रखी है। वह और उसके बच्चे को लेकर वह पास के  शहर में रहने लगा। उस औरत के लिए उसने अपने बिबी और बच्चों तक को छोडा़। साले की नियत ही वैसी थी, चरित्र ही ऐसा था कि उसे इस मुकाम पर जाना ही था। इस बिच उसने अपनी खेतीबाड़ी बेच दी। कुछ लोगों के पैसे वापसी किये, कुछ लोगोंको डुबोया। उस दुसरी औरत की चक्कर में उसने कई बार उसके पत्नीको पिटा, मारा। उस रखी हुई औरत का यह खुद रखा हुवा हो गया। पुरी तरह से वह उस औरतका वह गुलाम हो गया। उसका वापसी आना अब नामुमकिन हो गया।

अब यहाँ सोचना है, ऐसा इन्सान जिसका चरित्र गीर चुका हो या जो अपनी औरत होते हुए दुसरी औरत में रुची लेता हो, और उसके लिए जिसने अपनी पत्नी और बच्चे छोड़े हो, ऐसा आदमी भरोंसे के लायक है? क्या आप उन जैसे आदमी को अपना दोस्त बनाना पसंद कर सकते हो? जिसने दुसरों को डुबोया। कतई नही।

ऐसे आदमीसे सदा सावधान रहे। ऐसे चमड़ीचोर हमारे आसपास, अड़ोसपड़ोस और हमारे नजदीक मौजूद रहते है। वे अपना रंग कभीभी दिखाते है, दिखा सकते है ;इसलिए सावधान रहे।


महिलाओंपर अत्याचार होनेका मूल कारण



हिंगणघाट तहसील, वर्धा जिला से जो एक बहुत शर्मनाक खबर आयी है, मनको विचलित करती है। एक लड़के ने एक लड़की को जलाकर मारने की कोशिश की है ।  एक बिअरबाके मालिक ने घरमें घुसकर यह बात मिडिया में फैली है। भारतका यह दुर्भाग्य है की भारतमें ऐसी न जाने कितनी वारदातोंको रात के अंधेरे में और दिन के उजाले में अंजाम दिया जाता है। यह घटना पहली घटना नही है। महिलाओं को सदियों से भारतमें प्रताड़ित होना पड़ रहा है। इसका प्रमाण हमें पुरानों में मिलता है। महिलाओं को दुय्यम दर्जा देने की वजह से ही सदा महिलाओं को दुर्भाग्य झेलना पड़ा है। समय समय पर न जाने सदियोसें कितनी सत्ताएँ आयी और चली गयी । कुछ शासकों ने महिलाओं के भलाईके बारें में सोचा ;पर स्थितीशील समाज न बदल सका। कारण यहाँ की सामाजिक रचना सदा महिलाओं को दुय्यम दर्जा देती है।

लोग विचारों के और विकारों के अधीन है। जब कोई विकारों के अधीन हो जाता है तो सुधबुध खो बैठता है। उसे उसके आस पास कोई दिखाई नही पड़ता। आदमी भावना में क्रोध में इतना उत्तेजित होता है की उसकी बुद्धि उसका साथ छोड़ देती है। और यही हजारों बार हुवा  है। वैयक्तिक और सामाजिक उन्माद बहुत ही भयानक है। द्वेश और क्रोध जब मन में उत्पन्न होता है तो मनुष्य जानवर बन जाता है। और कभी कभी एक गुनाहगार की वजह से सारा समाज दोषी ठहराया जाता है। इसके विपरीत हमे यह भी दिखाई देता है, की वैयक्तिक झगड़े की, वैयक्तिक उन्माद और विपरीत विचार के कारण हमारे देश में न जाने कितने सामाजिक कांड़भी किये गये है। यहाँ सदा लोग एक दुसरे से अलग है। एक जाती दुसरे जाती के प्रती कोई सहानुभूति नही रखती। यह वास्तविक चित्र है। जाती का होना ही सामाजिक उन्माद का कारण है।

ऐसी घटनाएं क्यों घटती है?

आदमी कितना भी पड़ा लिखा क्यों न हो उससे अगर निति अनिति  न समझमें आती हो तो वह दुसरों पर उन्मादी हो जाता है। और कुछ ऐसा विपरीत कर बैठता है की उसके आसपास के संबंधित व्यक्ति प्रताड़ित हो जाने की संभावना होती है, पिड़ित हो सकते है, उन्हें अन्याय का सामना करना पड़ सकता है। शिक्षीत हो या अनपढ़  जब आदमीका मन वासना से लिप्त हो जाता है तो निश्चयी अपराध की ओर दौड़ पड़ता है। मुख्य कारण है वासना। हमनें देखा है -खैरलांजी का हत्याकांड जिसमे बेहरहमी से भोतमांगे परिवार के तीन लोगों की हत्याए की गयी थी। वह घटना इतनी नृशंस थी की उसकी कल्पना करना बहुत पिड़ादायक है। शब्दों में व्यथा बयां करना असंभव है। एक नही अनेक लोग उसमें शामिल थे और जो उस युवती पर अत्याचार हुवा था वह भयावह था। उसके......में  लोगों ने  लकड़ी कई बार घुसेड़कर  नृशंस तरिके से मार ड़ाला था। फिरभी अपराधी कुछ सालों के बाद निर्दोष बरी किये गये थे।

निर्भया का उदाहरण सामने है। दिल्ली के नजदीक गॅगरेप हुवा था और सभी वासनाधीन युवकोंको पकड़ा। वे आजभी सलाखोंकेपिछे जिंदा है और रहम की भिख मांग रहे है। आसिफ़ाके हत्यारे भी जिंदा है ।आसिफ़ापर अत्याचार करनेवाले सभी ब्राम्हण समाज के थे । आठ साल की बच्ची के साथ कई वासना के अधीन जानवरोंने कई दिन तक रेप किया और मार ड़ाला। सजा अबतक़ नही हुई।  वह उन्नाव का कांड अभी तक न्याय मांग रहा है और अपराधी जेल के बाहर है। हैद्राबाद में एक डॉ. प्रियंका रेड्डी नामक युवती को रात में रेप करने के बाद पेट्रोल डालकर जिंदा जलाया।  सिल्लोड की खबरको  हमे भुलना नही चाहिए।मोहिते नामक बिअर बार के मालिक ने घरमें घुसकर एक युवती को जिंदा जलाया। ऐसी घटनाएं देशमें क्यों बारबार हो रही है? मुल कारण द्वेष और क्रोध है।कहने का तात्पर्य वासना के  अधीन जब मन होता है तब वह किसी भी तरह का अपराध कर बैठता है। यहाँ मैनें कुछ ही घटना का उल्लेख किया है। छह माह की बच्चीयों से लेकर साठ साल की महिलाओं से तक भारत में रेप होते आ रहे है। वे क्या कोईभी सुरक्षित नही है।और अॅसिड और पेट्रोल डालकर जलानेके किस्से भी बहुत यहाँपर घटे है।  कई स्कूलोंमे विद्यार्थियों का लैंगिक शोषण किया जानेकी खबरे आती रही है।हाल ही में एक स्कूल में सांस्कृतिक क्लिप दिखाने के बहाने छात्रापर वहा के प्रिंसीपल सहित अध्यापकोंनेभी बलात्कार किया है। एक आश्रम स्कूल में वहाँ के मुख्य अध्यापक सहीत शिक्षक शामिल थे और सब मराठा थे तथा एक शिक्षक रामोशी समाज का था।उन्होंने आश्रम स्कूल की सारी छात्राओंसे कई दिनों तक रेप किये थे। कई महिला पत्रकारों का पत्रिका के मालिको ने यौन शोषण किया है। आश्रम शालाओं में भी बेटियां सुरक्षित नही है।यहाँ के राजनेता भी ग्रसित है। उपरसे लोग बहुत ही मासूम जान पड़ते है पर न जाने किसके मनमें क्या चल रहा है,कोई नही जानता। आज जो मोर्चे और रेलिया निकाल रहे है,उनमें भी अपप्रवृत्ती वाले कल के अपराधी हो सकते है।लोग जाती देखकर रेलिया निकालते है। दबे कुछलों से लेकर सवर्णों तक सभीपर जब अन्याय होता है तो कुछ लोग निषेध करते है ;पर अन्याय के खिलाफ़ आवाज सिर्फ यहाँ के बुद्धिस्ट उठाते है। और जब अपराधी बुद्धिस्ट हो तो सारे धर्म और जाती के लोग अपराधी के खिलाफ मैदान में होते है। इतिहास गवाह है की यहाँ के मालिकों ने,वतनदारोंने ,तथा मनुवादीयोंने सदा निम्न वर्ग के खिलाफ छल और अन्याय किया फिर भी उनके खिलाफ बोलने की ताकत यहां के बुद्धिस्टोंके अलावा किसी में नही। लोग अपराधी की जाती देखकर रेलिया निकालते है और कड़ी से कड़ी सजा की डिमांड करते है। ।यह जातीवाचक निति सदा लोगोंको संस्कारित करनेमें बाधक है।

बलात्कार,लैंगिक शोषण और वासनांध होकर हत्याएं जैसे ऐसे कई गुनाह- अपराध हमारे देश में होते रहे है। मुख्य कारण वासना और क्रोध  है।  इस आपराधीक भावना की मुख्य वजह कही न कही अपने समाज का स्थितीशील होनाही है। लोगोंका आकर्षण वासना के प्रति बहुत जादा होना यह हो सकता है। किसीभी काल में अपराधि पाए जाते है और हम कितने भी नियम कानून करे अपराध होते रहते है ,होते रहेंगे।  पर यह भी हमें जानना जरूरी है, की किसीभी सरकार ने इसे प्रतिबंध करने के लिए खास उपाय किये है?  कदापि नही। क्योंकि जाती देखकर जब निर्णय या न्याय किया जाए तो अपराध कम नही होते बल्कि लोग, विशिष्ट लोग अपराध करने से नही डरते। हमारे सिस्टम में यही दोष है। अपराधि व्यक्ति की कोईभी जात या धर्म नही होता। वह केवल एक अपराधि होता है। और अपराधियों को संविधान के दायरे में उचित सजा मिलनी आवश्यक है। जरुरी है। तभी आनेवाली पीढ़ियों में उचित संदेश जायेगा और लोग अपराध करने से चुकेंगे और डरेंगे।

दुसरी बात अपराध और गुनाहगारों का प्रमाण कम करना है तो लोगोंको जागरूक और विशेष प्रकार से शिक्षीत करना पड़ेगा। वासना के प्रति जो आकर्षण है वह न हो पाए इस तरहकी शिक्षा युवकोंको और बालकों को  देनी पड़ेगी।सार -असार पहचानने की क्षमता बढ़ानेवाली शिक्षा देनी पड़ेगी।  उस तरहके नितीमुल्योंपर आधारित नैतिक शिक्षण व्यवस्था का प्रबंध करना पड़ेगा। लोग नितियों का मूल्य जाने और उसका महत्त्व समझे ऐसी शिक्षण प्रणाली लागू करनी चाहिए।यह चुनौतीपूर्ण है, कठिन है ;किंतु अति आवश्यक है। नामुमकिन नही है। जो भारत के तथाकथित सिस्टम के लोग ऐसा नही चाहेंगे। उन्हे पाश्चात्य विचारों से सख्त नफ़रत है ;पर लोगोंका आपस में तालमेल और सहानुभूति तथा भावनिक संबंध आवश्यक है। संभव है ऐसे घिनौने अपराध कम हो जाए या रूक जाए।



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